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करुणा के बीच का रिश्ता नहीं है
मरहम लगाने वाला और घायल।
यह बराबरी का रिश्ता है।
तभी जब हम अपने अँधेरे को अच्छी तरह जान सकते हैं
क्या हम दूसरों के अंधेरे के साथ उपस्थित हो सकते हैं।
करुणा वास्तविक हो जाती है जब हम पहचानते हैं
हमारी साझा मानवता।
-पेमा चोद्रोनी
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